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ब्रह्मचर्य पालन करने की त्रिचरन विधि

अतः ब्रह्मचर्य पालन की सबसे मूलभूत त्रिचरण विधि भी यही बनती है… 1. ज्ञान प्राप्ति 2. ध्येय धारण 3. पौरुष वृद्धि इसके पालन से कोई भी व्यक्ति सहजता से ब्रह्मचर्य का पालन कर सकता है। अब आइए समझते हैं कि कैसे हो सकता है इस त्रिचरण विधि का पालन। ब्रह्मचर्य पालन की त्रिचरण विधि का […]

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ब्रह्मचर्य तोड़ने के प्रमुख कारण – सम्पूर्ण ज्ञान हिंदी में

आख़िर, क्यों तोड़ता है कोई ब्रह्मचर्य? जब मनुष्य के जीवन में सर्जनात्मक आदतों की कमी होती है, तब उसका मन उसे विनाशक आदतों की ओर घसीट कर ले जाता है। अधिकतर लोग यह मानते हैं कि ब्रह्मचर्य हम तब तोड़ते हैं। जब हमारी कामवासना हम पर हावी हो जाती है। ग़लत। आप स्वयं सोचिए, आख़री

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ब्रह्मचर्य टूटने का सातवां कारण – वैवाहिक व्यभिचार

7. वैवाहिक व्यभिचार जी हाँ! विवाह के अंदर भी ब्रह्मचर्य टूट सकता है। वैसे आदर्श रूप से सिर्फ़ संतान प्राप्ति के लिए ही संभोग करना चाहिए। परंतु फिर भी विवाह के अन्तर्गत पति पत्नी के सुख के लिए किया गया संभोग भी स्वीकार्य है। और न ही मात्र स्वीकार्य है परंतु यदि दोनों में से

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क्या है संभोग या मैथुन? पूरी जानकारी पढ़े

जी हाँ, प्राकृतिक रूप से तो सिर्फ़ मैथुन (Sex) ही वीर्य को शरीर से निकालने के लिए सक्षम होता है। हालाँकि यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि चेतना की दुर्गति से हमने शरीर से वीर्य को निचोड़ लेने के लिए हस्तमैथुन व पोर्न जैसे नवीन तरीके बना दिये है। परंतु इस विषय को समझने की शुरुआत

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वीर्यनाश से होने वाले शारीरिक असर

1 . शारीरिक असर आयु का नाश, स्वास्थ्य का नाश, बल का नाश। दीर्घायुः त्रयः उपस्तम्भाः। आहारः स्वप्नो ब्रह्मचर्यं च सति । – चरक संहिता अर्थात् दीर्घायु के तीन उपस्तम्भ हैं – आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य। समस्त आयुर्वेद शास्त्र इस बात को लेकर अटल है कि, मनुष्य की आयु शरीर में संचित प्राण शक्ति से

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क्यों करे ब्रह्मचर्य?

इतनी सारी मेहनत सिर्फ़ एक आदत को हटाने के लिए? जी नहीं, ब्रह्मचर्य.. सिर्फ़ इसलिए नहीं करना है क्योंकि आपको हस्तमैथुन की आदत हटानी है, सिर्फ़ इसलिए नहीं करना है क्योंकि आपको पोर्न की आदत हटानी है, सिर्फ़ इसलिए नहीं करना है क्योंकि आपको नशे की आदत हटानी है। ब्रह्मचर्य इसलिए करना है क्योंकि आप

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वीर्य कैसे बनता है? पूरी जानकारी हिंदी में

अभी हमने वीर्य के सूक्ष्म से स्थूल स्वरूप के अवस्था चक्र को समझा, अभी हम वीर्य के स्थूल धातु स्वरूप के बनने की प्रक्रिया को समझेंगे। जिसके बारे में आचार्यपाद् सुश्रुत बताते हैं कि – रसाद्रक्तं ततो मांसं मांसान्मेदः प्रजायते । मेदस्यास्थिः ततो मज्जा मज्जायाः शुक्रसंभवः ॥ अर्थात्, भोजन का पाचन होकर पहले रस (Nutrients)

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क्या है वीर्य? जाने वीर्य का सम्पूर्ण ज्ञान

परंतु ! वीर्य तो पुरुषों के अंडकोषों (Testicals) में होता है न? पूरे शरीर में थोड़ी होता है? जी नहीं। यह सबसे ग़लत अवधारणा है कि वीर्य का प्राथमिक स्थान अंडकोष में होता है। जिस सफ़ेद धातु द्रव्य को हम लोग आज वीर्य मानते हैं वह वीर्य का धातु स्वरूप मात्र है। जो कि मात्र

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क्या है प्राण? जाने प्राण का सम्पूर्ण ज्ञान

वो प्राण ही हैं, जो शरीर में से निकल जाने पर शरीर मृत हो जाता है। इसी लिए हम हर जीव को प्राणी कहते हैं, जैसे की धनी : जिसके पास धन है वो, बली : जिसके पास बल है वो, प्राणी : जिसके पास प्राण हैं वो। ऑक्सीजन को प्राणवायु कहते हैं, और जीवन

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